राहुल के बयान से साफ हुआ कांग्रेस आरक्षण खत्म करना चाहती है :कौशल किशोर
- देश विरोधी,विदेशी ताकतों का खिलौना बन गए है राहुल गांधी:कौशल किशोर
- राहुल गांधी ने 257 बार विदेश यात्रा की इसका खर्चा कौन उठाता है:कौशल किशोर
- राहुल गांधी दोमुंहे है संविधान हाथ में लेकर घूमते है और आरक्षण खत्म करने की बात करते है:कौशल किशोर
रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर ने राहुल गांधी द्वारा अपनी हालिया अमेरिकी यात्रा के दौरान यह कहे जाने पर कि वह (राहुल/कांग्रेस) “आरक्षण हटा देंगे” पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि यह वही धुन है जो राहुल गांधी का परिवार नेहरू के जमाने से गाता आ रहा है। श्री किशोर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने 57 वर्षों तक देश पर शासन किया, लेकिन इस दौरान उसने अपने राजनीतिक उद्देश्यों को साधने के लिए संवैधानिक प्रक्रियाओं का जमकर दुरुपयोग किया और सामाजिक उद्देश्यों की उपेक्षा की। कांग्रेस ने कभी भी संविधान के मूलभूत आरक्षण सिद्धांतों को सही भावना और रूप में लागू करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं दिखाई।
पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री किशोर ने शनिवार को एकात्म परिसर स्थित भाजपा कार्यालय में आहूत पत्रकार वार्ता में कांग्रेस के आरक्षण, संविधान और डॉ. अम्बेडकर विरोधी इतिहास की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने सन् 1956 में पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने की काका कालेलकर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था। नेहरू ने ही सन् 1961 में मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कहा कि आरक्षण से अक्षमता और दोयम दर्जे का मानक पैदा होता है। इस प्रकार नेहरू ने डॉ. अम्बेडकर के सामाजिक व राजनैतिक जीवन को समाप्त करने का षड्यंत्र किया। 1952 में लोकसभा चुनाव और 1954 में लोकसभा उपचुनाव में डॉ अम्बेडकर को हराने का पाप किया। श्री किशोर ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में सन् 1975 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाकर संविधान की आत्मा को कुचला था। इंदिरा गांधी ने मंडल आयोग की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डालकर ओबीसी आरक्षण में देरी की। 1966 से 1977 तक, संविधान में 25 बार संशोधन हुए। 42वें संशोधन में 41 अनुच्छेदों में संशोधन किए गए और 11 नए अनुच्छेद जोड़े गए। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 3 मार्च 1985 को एससी आरक्षण पर टिप्पणी करते हुए यह कहा था कि आरक्षण के माध्यम से हमें ‘बुद्धुओं’ को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। राजीव गांधी ने मंडल आयोग की रिपोर्ट का विरोध किया और 1990 में लोकसभा में आरक्षण का पुरजोर विरोध किया और मुसलमानों को आरक्षण देने की वकालत की, जो बाबासाहेब के मूल संविधान के खिलाफ था।
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