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राष्ट्रपति से मिले 8 राज्यों के आदिवासी रिटायर्ड अधिकारी और समाजसेवी

  • विकास मरकाम के नेतृत्व में प्रभावी प्रतिनिधिमंडल ने की राष्ट्रपति से भेंट
  • “आदि कर्मयोगी अभियान” से जुड़ने का राष्ट्रपति ने किया आह्वान

रायपुर | देश के आदिवासी बहुल राज्यों से आये सेवानिवृत्त अधिकारियों और समाजसेवियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भेंट की। इस प्रतिनिधिमंडल में छत्तीसगढ़, उड़ीसा, असम, आंध्रप्रदेश, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड एवं पश्चिम बंगाल के जनजातीय समुदायों से जुड़े गणमान्य व्यक्ति शामिल रहे।

इस विशेष अवसर पर जनजाति कार्य मंत्री श्री जुएल उरांव, ऊर्जा एवं नगरीय प्रशासन मंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर, जनजाति कार्य राज्यमंत्री श्री दुर्गादास उइके, भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री समीर उरांव, एवं जनजाति कार्य मंत्रालय के सचिव और वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित रहे।

छत्तीसगढ़ से विकास मरकाम के नेतृत्व में एक प्रभावशाली प्रतिनिधिमंडल शामिल हुआ जिसमें विधायक एवं आईएएस नीलकंठ टेकाम, आईएएस शिशुपाल शोरी, आईपीएस राधेश्याम नायक, आईपीएस भारत सिंह, सेवानिवृत्त सहायक श्रम आयुक्त उमेश कच्छप, सेवानिवृत्त अपर कलेक्टर फूलसिंह नेताम, कांकेर जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती किरण नरेटी, एवं भाजपा अजजा मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य श्रीमती विद्या सिदार प्रमुख रूप से शामिल रहे।

राष्ट्रपति ने इस दौरान ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ और ‘पीएम जनमन योजना’ का विशेष उल्लेख करते हुए सरकार की आदिवासी हितैषी योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने सभी जनजातीय प्रतिनिधियों से केंद्र सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी पहल ‘आदि कर्मयोगी अभियान’ से जुड़ने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि इस अभियान का लक्ष्य लगभग 20 लाख आदिवासी सरकारी अधिकारियों और अन्य हितधारकों (युवा चैंपियन, फ्रंटलाइन कार्यकर्ता, स्वयं सहायता समूह के पदाधिकारी, स्वयंसेवक आदि) को प्रशिक्षित कर एक समर्पित समूह तैयार करना है जो देश के लगभग 1 लाख जनजातीय बहुल गांवों में सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का शत प्रतिशत लाभ पहुंचाने की दिशा में काम करे तथा जनजातीय नागरिकों और संस्थाओं के बीच सामुदायिक भागीदारी के विश्वास को मजबूत करे।

इस अवसर पर विकास मरकाम ने छत्तीसगढ़ के परिपेक्ष्य में चर्चा करते हुये बताया कि हमारे राज्य की लगभग 32% जनसंख्या हमारे आदिवासी समुदायों की हूं। आजादी के इस अमृतकाल में देश की संवैधानिक प्रमुख के रूप में पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति मिलने पर पूरे समाज मे खुशी की लहर है। साथ ही साथ बहुत ही गर्व के साथ मैं कहना चाहता हूं कि हमारे प्रदेश में भी विष्णुदेव साय को पहली बार आदिवासी मुख्यमंत्री बनाये जाने से यह सिद्ध होता है कि अब भारत का लोकतंत्र हाशिये के लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिये प्रतिबद्ध है।

उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने भारत के समस्त आदिवासी समूहों को न केवल संगठित किया बल्कि यह स्वाभिमान भी जगाया कि आदिवासियों का उत्थान कोई कृपा नहीं, यह सामाजिक न्याय है। हमारे सांस्कृतिक विरासत और गौरव गाथा को याद करने के लिये ‘जनजाति गौरव दिवस’ के रूप में एक विशेष दिन देने के लिये भी उन्होंने राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए आदिवासी समाज की ओर से आभार व्यक्त किया।