Conclusion of the three-day Nani Bai Ko Myro Divya Katha organised at Rishikesh Parmarth Niketan

ऋषिकेश परमार्थ निकेतन में आयोजित तीन दिवसीय नानी बाई को मायरो दिव्य कथा का समापन

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में प्रसिद्ध कथावाचक जया किशोरी जी की मधुर वाणी में आयोजित तीन दिवसीय नानी बाई को मायरो दिव्य कथा का समापन स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में हुआ।

नानी बाई को मायरो कथा, भक्त नरसी मेहता की भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अटूट भक्ति, श्रद्धा, विश्वास और समर्पण की दिव्य गाथा है। यह कथा हमें सिखाती है कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, हमें अपने संस्कारों और संस्कृति को नहीं भूलना चाहिए। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि यह कथा हमें प्रेरणा देती है कि जीवन में कठिनाइयाँ चाहे कितनी भी हो, परन्तु प्रभु के प्रति अटूट भक्ति व विश्वास से हर मुश्किल से उबारा जा सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में हमारे युवा छोटी-छोटी बातों को लेकर तनाव में आ जाते हैं इसलिये ये कथायें हैं जो हमें संदेश देती हैं कि प्रभु हर पल आपके साथ है।

नानी बाई को मायरो कथा में नरसी मेहता की बेटी नानी बाई के बेटी की शादी के समय की कठिनाइयों का अद्भुत वर्णन है। नरसी मेहता, जो एक गरीब ब्राह्मण थे, शादी के लिए मायरा (भात) भरने में असमर्थ थे। लेकिन उनकी अटूट भक्ति और भगवान श्रीकृष्ण जी के प्रति विश्वास ने उन्हें इस कठिनाई से उबार लिया। भगवान श्रीकृष्ण जी ने स्वयं नरसी मेहता की मदद की और उनकी बेटी के बेटी की शादी को सफल बनाया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने इस कथा के माध्यम से ‘हरि कथा हरित’ कथा का संदेश देते हुये कथा की स्मृति में पौधों के रोपण व संरक्षण का संदेश दिया। स्वामी जी ने कहा कि जैसे हम भगवान की भक्ति में लीन रहते हैं, वैसे ही हमें प्रकृति की भी भक्ति करनी चाहिए क्योंकि प्रकृति नहीं तो संस्कृति नहीं न ही संतति।

कथा के समापन अवसर पर साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि नानी बाई को मायरो कथा हमें सिखाती है कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, हमें अपने संस्कारों और संस्कृति को नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने परिवार में संस्कृति और संस्कारों के संवर्द्धन पर जोर देते हुए कहा कि हमारी संस्कृति और संस्कार हमें हमारी जड़ों से जोड़ते हैं। जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, हमें अपने संस्कारों और संस्कृति को नहीं भूलना चाहिए। नरसी मेहता जी की सेवा और समर्पण की भावना हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति में सेवा और समर्पण का कितना महत्व है।

साध्वी जी ने कहा कि नानी बाई को मायरो कथा न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और संस्कृति के संवर्द्धन की दृष्टि से भी जरूरी है, जो हमें जीवन में सही मार्ग पर चलने और अपने कर्तव्यों का पालन करने की प्रेरणा देती हैं।

जया किशोरी जी ने कहा कि परमार्थ निकेतन का वातावरण अत्यंत शांत और आध्यात्मिक है, जो यहाँ आने वाले हर व्यक्ति को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है। यहाँ की दिव्यता हमें हमारी जड़ों से जोड़ते हैं और हमें आत्मिक शांति का अनुभव कराती है। यह स्थान न केवल आध्यात्मिकता का केंद्र है, बल्कि पूज्य स्वामी जी गंगा जी की आरती के माध्यम से हमें संस्कृृति, संस्कार, पर्यावरण और सम्पूर्ण मानवता से जोड़ते हैं। उन्होंने कहा कि यहाँ का वातावरण अत्यंत दिव्य और भव्य है, जो यहां आने वालों को आत्मिक शांति और संतोष प्रदान करता है।