- राजधानी के महामाया मंदिर में 21 अक्टूबर तक श्रीमद्भागवत कथा, ज्ञान यज्ञ सप्ताह का आयोजन
- भगवान की विशेष कृपा से जीव को सत्संग का सौभाग्य प्राप्त होता है।
स्वामी श्री राघवाचार्य जी महाराज के श्रीमुख से राजधानी रायपुर के पुरानी बस्ती स्थित महामाया मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा की गंगा बह रही है। इस ज्ञान यज्ञ सप्ताह में कथा का आयोजन शाम तीन बजे से सात बजे तक किया गया है। 21 अक्टूबर तक स्वामी राघवाचार्य जी महाराज के श्रीमुख से श्रीमद्भागवत कथा श्रवण लाभ प्राप्त किया जा सकता है। चौथे दिन शुक्रवार को स्वामी श्री राघवाचार्य जी महाराज ने भगवान के पावन चर्चा की शुरूआत भगवन नाम संकीर्तन से की।
स्वामी श्री ने अपने श्रीमुख से कथा अनुष्ठान की शुरूआत करते हुए कहा कि जब भगवान की विशेष कृपा होती है तो जीव को सत्संग का सौभाग्य प्राप्त होता है। संस्कृत चक्र में जीव के भ्रमण को देखकर एवं अपने कर्मों के परिणाम स्वरूप विविध योनियों में दुख को पाते देखकर भगवान के हृदय में जब करुणा उत्पन्न होती है तो भगवान ऐसी कृपा करते हैं कि उस जीव को सत्संग मिले और सत्संग में आकर भगवान की लीला को सुनकर एवं भगवान ही सार तत्व हैं को समझे और भगवान का अनुगत होकर भक्ति के पथ पर चल पड़े और परम कल्याण को प्राप्त करे, यही भगवान की परम कृपा है। बिना सत्संग और बिना भगवान की कथा के भगवत तत्व और परमात्म तत्व को कोई नहीं जान सकता है। परम तत्व को कोई नहीं जान सकता है।
स्वामी श्री ने कहा कि वेद भगवान ने कहा कि पहले सुनने का अभ्यास करना चाहिए। अगर सुनने का अभ्यास कर लिया तो आगे सबकुछ हो जाएगा। चार घंटे अगर सावधान होकर श्रवण करें और ध्यान से एक एक शब्दों पर विचार करें तो यही श्रवण विधि और श्रवण भक्ति है। अगर भगवान की कथा में अनुराग हो जाए तो यह समझना चाहिए कि भक्ति जीवन में आ गई है।
देवर्षि नारद जी भक्ति की चर्चा करते हुए स्वामी श्री ने कहा कि देवर्षि ने भक्ति के लक्षण में महर्षि गर्ग के मत का वर्णनन करते हुए कहा है कि भगवान की कथा में प्रीति उत्पन्न हो जाए यही भक्ति है। भगवान की कथा में प्रीति उत्पन्न होना यह जीवन की बड़ी उपलब्धि है। फिर जीव को सब कुछ प्राप्त हो जाता है। कथा के मुख्य यजमान सुंदर नगर निवासी गोविंद कुमार शर्मा उनकी धर्मपत्नी केसाथ समस्त परिवार हैं।
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