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आयकर दिवसः 2024-25 में 9.19 करोड़ आयकर रिटर्न दाखिल

नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2024-25 में 9.19 करोड़ आयकर रिटर्न (अपडेट किए गए रिटर्न को मिलाकर) दाखिल किए गए।
वार्षिक सूचना विवरण (एआईएस) की मदद से प्रीफिल्ड आसान रिटर्न जैसी पहल, नज अभियान और परियोजना अंतर्दृष्टि, डेटा एनालिटिक्स के जरिए कर अनुपालन और दक्षता में सुधार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं
आयकर विधेयक, 2025 का उद्देश्य आयकर कानून को सरल बनाना है, जिससे इसको समझने में आसानी और स्पष्टता बेहतर हो।

आयकर केवल एक राजस्व उपकरण से कहीं अधिक है – यह एक समृद्ध और स्थिर राष्ट्र की भावना और शक्ति को ऊर्जा देता है। सभी के लिए एक समाज और अवसर का निर्माण करते हुए, यह देश की सामूहिक महत्वाकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है।

एक वित्त वर्ष में लोगों और व्यवसायों की होने वाली कमाई पर सरकार की ओर से लगाया जाने वाला कर, भारत में आयकर, आयकर अधिनियम, 1961 द्वारा शासित होता है। ‘आय’ शब्द में विभिन्न स्रोत शामिल हैं, जिन्हें आयकर अधिनियम की धारा 2(24) के अंतर्गत विस्तृत रूप से परिभाषित किया गया है।

 पृष्ठभूमि

भारत के वित्तीय इतिहास में 24 जुलाई को एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होने के उपलक्ष्य पर आयकर दिवस मनाया जाता है। इसी दिन 1860 में सर जेम्स विल्सन ने भारत में आयकर की शुरुआत की थी। इसने 1922 के आयकर अधिनियम के लिए आधार तैयार किया, जिसने सही मायने में एक संरचित कर प्रणाली की स्थापना की, जिसने विभिन्न आयकर प्राधिकरणों को औपचारिक रूप दिया और एक व्यवस्थित प्रशासन ढांचे की नींव भी रखी।

इसके अतिरिक्त, केंद्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम (1924) ने भारतीय कराधान फ्रेमवर्क को मजबूत किया, जिसने आयकर अधिनियम के प्रशासन के लिए एक वैधानिक इकाई की स्थापना की। 1981 में कंप्यूटरीकरण की शुरुआत ने प्रमुख तकनीकी अपग्रेडेशन किया, जिसकी शुरुआत कर चालानों की इलेक्ट्रॉनिक प्रोसेसिंग से हुई। 2009 तक, थोक में कर रिटर्न को संभालने के लिए बेंगलुरु में केंद्रीकृत प्रसंस्करण केंद्र (सीपीसी) की स्थापना की गई। सीपीसी एक क्षेत्राधिकारमुक्त, तकनीक-संचालित तरीके से संचालित होता है, जो आधुनिकीकरण का एक प्रमुख मील का पत्थर है।

यह दिन भारत के कर प्रशासन के विकास की याद दिलाता है और एक सुव्यवस्थित एवं नागरिक-केंद्रित प्रणाली के निर्माण के लिए सरकार के सतत प्रयासों को प्रदर्शित करता है।

आयकर का महत्त्व

आयकर वित्त से कहीं आगे जाता है—यह स्थिर, न्यायसंगत और आत्मनिर्भर समाज के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है।
आयकर स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं के लिए धन मुहैया कराता है जो सामाजिक कल्याण में सहायक होती हैं।
कर राजस्व विभिन्न क्षेत्रों में सरकार को निवेश के योग्य बनाता है, विकास को बढ़ावा देता है और रोजगार सृजन करता है।
कराधान धन संचय और पुनर्वितरण को संतुलित करता है, निष्पक्षता और सामाजिक सामंजस्य को आगे बढ़ाता है।
यह राष्ट्र क्षमता का निर्माण करता है और सामाजिक अनुबंधों को सुदृढ़ करता है, जिससे नागरिकों और सरकार के बीच जवाबदेही बढ़ती है।
कर सुधार ऐसी नीतियों को आकार देने में मदद करते हैं जो जनता की जरूरतों को प्रतिबिंबित करती हैं, संस्थाओं में वैधता और भरोसे को मजबूत करती हैं।


आयकर रिटर्न

आयकर रिटर्न (आईटीआर) एक ऐसा फॉर्म है, जिसका इस्तेमाल प्रमुख तौर पर किसी व्यक्ति की आय और आयकर विभाग को लागू कर के बारे में जानकारी देने के लिए किया जाता है। इसे प्रत्येक वित्त वर्ष में आय कमाने वाले हर व्यक्ति और व्यवसाय को दाखिल किया जाना चाहिए। यह कर योग्य आय, कर देयता और कर कटौती के दावों का निर्धारण करने में मदद करती है।

बीते 5 वर्षों में दाखिल किए गए आयकर रिटर्न की संख्या में 36% की बढ़ोतरी देखी गई है। वित्त वर्ष 2024-25 में लगभग 9.19 करोड़ आईटीआर (अपडेट किए गए रिटर्न सहित) दाखिल किए जाएंगे, जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में यह संख्या 6.72 करोड़ थी। यह निरंतर बढ़ोतरी बढ़ते करदाता आधार और स्वैच्छिक अनुपालन को दर्शाती है।