मीडियावाणी ब्यूरो, ऋषिकेश। शरद पूर्णिमा के अवसर पर परमार्थ निकेतन आश्रम के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि शरद पूर्णिमा की रात्रि सोलह कलाओं से परिपूर्ण चन्द्रमा और उन किरणों से बरसता अमृत, अद्भुत, अलौकिक है। यह केवल शरीर को ही नहीं बल्कि मन और आत्मा को भी भिगो देता है, यह पर्व एकता, प्रेम और समृद्धि की प्रेरणा देता है। चंद्रमा, हमारे मन के अधिष्ठाता हैं इसलिये हमारी भावनाओं, मनोदशा और मानसिक स्थिति को भी प्रभावित करता हैं। पूर्णिमा के समय तो चांद की चांदनी उस की किरणें विशेष चमत्कारी हो उठती है।
शरद पूर्णिमा; रास पूर्णिमा, प्रभु से एक होने की पूर्णिमा है आज की रात ठाकुर जी के साथ। शरद पूर्णिमा की रात आत्मिक जागरण की भी रात्रि है। यह रात्रि जीवन के सारे अंधकार, अहंकार को दूर कर स्वीकार व समर्पण की रात्रि है। चन्द्रमा की किरणें सकारात्मक ऊर्जा, संतुलन, भावनात्मक शुद्धता और मानसिक शान्ति प्रदान करती है। आज की रात चन्द्रमा की किरणों में रखी खीर अमृतमयी हो जाती है। जो शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिये अत्यंत लाभकारी है।
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