समदर्शिता का संसार अर्थात सभी में श्रीहरि दर्शन…

सिया राममय सब जग जानी करहूं प्रणाम जोर-जुग पानी

भौतिक संसार की अद्भुत रचना है। इसमें जब संत होंगे तो असंत भी होंगे। देवता-दानव, ज्ञानी-अज्ञानी, साधु-अपराधी मिलेंगे हैं। पहले तो दोनों के स्वभाव जानने ही होंगे। उन्हें मानस अनुसार सिया राममय सब जग जानी करहूं प्रणाम जोर-जुग पानी अर्थात सभी में श्रीहरि देखना चाहिए। सभी के हृद्य में रहना वाला मानकर प्रणाम करना चाहिए।

आइए प्रातः स्मरणीय गोस्वामी तुलसी दास द्वारा रचित रामचरित मानस की ओर लौटें और हंसते हंसते संसार रूप भवसागर को पार करें।