- श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के पंचम दिन भगवान के लीला का वर्णन
राजधानी रायपुर के श्री महामाया मंदिर स्थित प्रांगण में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के पंचम दिन रामलाल सदन के परम अध्यक्ष स्वामी श्री राघवाचार्य जी महाराज के श्रीमुख से भगवान के पावन चरित्र का वर्णन किया गया। 21 अक्टूबर तक स्वामी श्री के श्रीमुख से कथा का श्रवण किया जा सकता है।
स्वामी श्री ने भगवान के लीला एवं गोवर्धन की महिमा विस्तार किया।
स्वामी श्री ने कहा कि इस कलि काल काल में जीव के कल्याण का एकमात्र साधन भगवान के चरणों की भक्ति, भागवत गुणों का अनुवाद एवम भगवान के नाम का संकीर्तन है। शास्त्रों में बहुत से साधनों का वर्णन है, लेकिन उन साधनों के अनुकूल आज का वातावरण नहीं है। और अगर वातावरण है भी तो उन साधनों के अनुकूल लोगों में क्षमता भी अब नहीं है।
स्वामी श्री ने कहा कि इसी कारण से भगवान ने इतनी करुणा की कि कलयुग में जीव के कल्याण के लिए सबसे सरल साधन के रूप में भगवान् के गुणों अनुवाद, भगवत स्मरण एवं भगवन नाम संकीर्तन शास्त्रों में कहा गया है। इस काल में दोष बहुत हैं, कलयुग का तांडव चल रहा है। कहें तो अभी तो कलयुग की शुरुआत है। जिस दिन भगवान ने अपनी लीला का संवरण किया, भगवान के जाते ही कलयुग का आगमन हो गया। वैसे तो कलयुग का समय पहले ही हो चुका था, लेकिन भगवान श्री कृष्ण की महिमा के कारण कलयुग का प्रभाव नहीं था। भगवान के रहते कलयुग आ ही नहीं सकता। शास्त्रों में कहा गया है कि कलयुग आने वाला ही था तभी भगवान का अवतार हो गया इसीलिए कलयुग नहीं आया। भगवान के प्रताप से ही कलयुग रुक रहा जिस दिन भगवान ने लीला संवरण किया,उसी दिन कलयुग आ गया
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